Skip to content

Invest & Trade Smarter with Fisdom App

Get a FREE Fisdom account for Stocks, Mutual Funds & more, all in one place

Download Fisdom app

F&O in Hindi – Stock market mein Futures options(fno) trading kya hai?

Written by - Karunesh Dev

February 7, 2023 1 minute

शेयर बाज़ार में पैसा बनाने के अनेक विकल्प हैं जो इसे अत्यंत रोचक बनाते हैं I साथ ही निवेशकों के लिए सीख-कर व समझ-कर अपनी पसंद के उत्पाद में निवेश से लाभ कमाने का अवसर प्रदान करते हैं। 

इन्हीं उत्पादों में से दो प्रमुख उत्पाद हैं – फ्यूचर और ऑप्शंस जिनके विषय में आपने न्यूज़ चैनल्स और समाचार पत्रों में सुना/पढ़ा होगा। 

इन्हें समझने से पहले आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि शेयर बाज़ार, कमोडिटी बाज़ार या मुद्रा बाज़ार में सबसे अधिक प्रभाव कीमतों का होता है। 

कीमतों में किसी भी बदलाव का अर्थ है –निवेश या ट्रेडिंग में लाभ या हानि। कीमतों में उतार-चढ़ाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे – सरकारी नीति, अर्थव्यवस्था की स्थिति, औद्योगिक और कृषि उत्पादन, रोज़गार परिस्तिथि, युद्ध आदि। 

कीमतों की इस अस्थिरता के चलते बहुत से छोटे-बड़े निवेशक ‘डेरिवेटिव्स’ (derivatives) के माध्यम से निवेश करते हैं। ‘डेरीवेटिव’ एक अनुबंध है जिसका मूल्य किसी और वस्तु या उत्पाद पर आधारित होता है। ‘वित्तीय डेरीवेटिव’ वह है जिसका अपना मूल्य किसी अन्य संपत्ति के मूल्य से प्राप्त होता है। वह परिसंपत्ति जिससे डेरीवेटिव का मूल्य प्राप्त होता है, उसे ‘अंतर्निहित परिसंपत्ति’ (underlying asset) कहते हैं। 

अब समझते हैं फ्यूचर एंड ऑप्शंस (futures & options) को, जो इन्हीं डेरिवेटिव्स के दो प्रमुख विकल्प हैं –  

फ्यूचर्स या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (वायदा अनुबंध) क्या है?

वायदा अनुबंध में, खरीदार (या विक्रेता) किसी विशेष संपत्ति की एक निश्चित मात्रा को भविष्य की तारीख में निर्धारित कीमत पर खरीदने (या बेचने) के लिए सहमति देता है। आप कंपनी के शेयर्स के अलावा कृषि-आधारित वस्तुओं, पेट्रोलियम, सोना, करेंसी आदि के लिए वायदा अनुबंध (फ्यूचर्स)  खरीदते हैं I



एक उदाहरण लेते हैं -मान लीजिए कि आपने कंपनी ‘डी’ के 1000 शेयरों को पूर्व निर्धारित तिथि पर 20 रु में खरीदने का एक वायदा अनुबंध (फ्यूचर्स) खरीदा है। अनुबंध की समाप्ति पर, आपको वे शेयर 20 रु में ही मिलेंगे, भले ही उस समय कीमत कुछ भी हो। यदि उस समय कीमत 30 रु होगी, तब भी आपको ये शेयर 20 रु के ही मिलेंगे, जिसका अर्थ है आपका लाभ (1000×10 = 10000 रु) 

वहीँ, यदि शेयर की कीमत कम होकर 10 रु हो जाती है, तब भी आपको अनुबंध के हिसाब से उन्हें 20 रु प्रति शेयर पर खरीदना होगा। ऐसी स्थिति में आपको नुकसान होगा (1000×10 =10000 रु) 

ऑप्शन्स या ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (या विकल्प अनुबंध) क्या है?

यह वायदा अनुबंध से थोड़ा अलग है जिसमें यह खरीदार (या विक्रेता) को पूर्व-निर्धारित तिथि पर और निश्चित कीमत पर एक विशेष संपत्ति को खरीदने (या बेचने) का “अधिकार” देता है, लेकिन “बाध्य” नहीं करता (परिस्तिथि के हिसाब से आप चाहें तो लें या फिर ना लें) 

ऑप्शन्स दो प्रकार के होते हैं –

1 कॉल ऑप्शन 

कॉल ऑप्शन वह अनुबंध है जो खरीदार को विशिष्ट तिथि पर पूर्व-निर्धारित मूल्य पर संपत्ति ‘खरीदने’ का “अधिकार” देता है, लेकिन “बाध्य” नहीं करता। 

एक उदाहरण लेते हैं -आपने एक निश्चित तिथि पर कंपनी ‘बी’ के 1000 शेयर 40 रु में खरीदने का कॉल ऑप्शन खरीदा है। लेकिन एक्सपायरी (expiry)  से पहले शेयर की कीमत गिरकर 30 रु हो जाती है और अब आप इस अनुबंध को पूरा नहीं करना चाहते क्योंकि आपको नुकसान होगा।

आपको 40 रु में शेयर नहीं खरीदने का अधिकार है और आप सौदे में होने वाले नुकसान (40×1000 – 30×1000 =10,000 रु) से बच जाते हैं।

आपका एकमात्र नुकसान अनुबंध के लिए भुगतान किया गया प्रीमियम (premium) होगा जो कि 10,000 रु के नुकसान की तुलना में एक छोटी राशि ही होगी।

आमतौर पर आप कॉल ऑप्शन का प्रयोग तब करेंगे जब आपको कीमतों में वृद्धि या बढ़ोतरी की उम्मीद होगी। 

पुट ऑप्शन 

इस अनुबंध के अनुसार आप भविष्य में पूर्व-निर्धारित मूल्य पर संपत्ति ‘बेच’ सकते हैं, लेकिन इसमें भी कोई “बाध्यता” नहीं है।

उदाहरण के लिए -यदि आपके पास कंपनी ‘बी’ के शेयरों को भविष्य में 40 रु में बेचने का अनुबंध है, और शेयर की कीमत एक्सपायरी से पहले 50 रु तक बढ़ जाती हैं, तो आपके पास शेयर को 40 रु में नहीं बेचने का विकल्प है। इससे आप 10,000 रु (40×1000 – 50×1000)  के नुकसान से बच सकते हैं।

पुट ऑप्शन का उपयोग आप आमतौर पर तब करेंगे जब कीमतों में कमी या गिरावट की उम्मीद होगी।

अब जबकि आप मूल बातें समझ गए हैं, आइए कॉल और पुट ऑप्शन से संबंधित कुछ बुनियादी बातों को समझते हैं :

स्ट्राइक प्राइस : स्ट्राइक प्राइस वह कीमत है जिस पर खरीदार और विक्रेता एक निश्चित अवधि के बाद अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का निर्णय लेते हैं

स्पॉट प्राइस स्पॉट प्राइस शेयर बाजार में अंतर्निहित परिसंपत्ति की मौजूदा कीमत है

ऑप्शन समाप्ति (expiry) विकल्प अनुबंध महीने के अंतिम गुरुवार को समाप्त होते हैं

ऑप्शन प्रीमियम ऑप्शन प्रीमियम ऑप्शन खरीदार द्वारा ऑप्शन विक्रेता को अग्रिम भुगतान (advance or upfront payment) की गई गैर-वापसी योग्य (non-refundable) राशि है

निपटान (settlement) ये अनुबंध हमारे एक्सचेंजों पर नकद में तय किए जाते हैं

फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग कैसे करें?

1 एक पंजीकृत ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग खाता खुलवाएं जो फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग की अनुमति देता है

2 आप अपनी रणनीति और समझ के अनुसार स्टॉक्स या ट्रेड्स का चयन कर सकते हैं (कमोडिटी, सोने और इंडेक्स में भी कारोबार किया जा सकता है)

3 ऑनलाइन जाकर वेबसाइट से या मोबाइल ऍप से सीधा लॉग-इन करके विभिन्न उपलब्ध विकल्पों को जानिये 

4 आवश्यक मार्जिन के अनुसार खरीद / बिक्री अनुबंध या कॉल / पुट ऑप्शन खरीदें  

5 अनुबंध की समाप्ति तक बारीकी से निगरानी करिये 

6 बाज़ार में कीमतों के अनुसार आपने आर्डर को होल्ड करें 

7 कीमतों में बदलाव के अनुसार लाभ कमाने या हानि से बचने के हिसाब से कार्रवाई करें

फ्यूचर्स और ऑप्शंस – पहले जोखिमों को समझें:

फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग के लिए सिक्योरिटीज मार्केट और उससे जुड़ी अस्थिरता की गहन समझ की आवश्यकता होती है।अगर आपको इसका अच्छा ज्ञान है और आप आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं, तो फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करने से पहले इसके कुछ जोखिमों को अच्छे से समझ लें:

डेरिवेटिव्स दोनों तरह से काम करते हैं – यदि आपका ट्रेड योजना के अनुसार चला, तो यह अच्छा मुनाफा दे सकता है 

– दूसरी ओर यदि समय पर आपने इसे सेटल नहीं किया या कीमतें विपरीत दिशा में जाती हैं तो ये आपकी प्रारंभिक पूंजी को भी मिटा सकता है

– आपको हमेशा स्टॉप – लॉस और प्रॉफिट टारगेट के साथ ये ट्रेड सुनिश्चित करने चाहिए

– सभी पोजीशन या ट्रेड्स का कारोबार पूर्व निर्धारित सीमाओं के साथ किया जाना चाहिए

– ध्यान में रखिये कि फ्यूचर्स और ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते समय, आप एक ट्रेडर की तरह काम कर रहे हैं न कि निवेशक के रूप में

– आपको फ्यूचर्स और ऑप्शन से जुड़ी लागत की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए

– इक्विटी ट्रेडिंग की तुलना में इनमें लागत कम दिखाई दे सकती है लेकिन आप इनमें अधिक बार ट्रेडिंग करते हैं, इसलिए विभिन्न शुल्क अवश्य ध्यान में रखें   

फ्यूचर्स और ऑप्शन – सतर्क दृष्टिकोण 

बाज़ार से संबंधित कोई भी उत्पाद आंतरिक जोखिम के साथ आता है और किसी विशिष्ट व्यापार में प्रवेश करने से पहले संबंधित जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है। आपको पहले अपनी प्रोफाइल को समझना चाहिए, फिर एक राशि निर्धारित करने की आवश्यकता है जिससे इनमें ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं। इसके बाद एक सुदृढ़ रणनीतिक योजना बनाकर उचित चयन के साथ इन दो लोकप्रिय शेयर बाज़ार उत्पादों से लाभ कमाया जा सकता है।

1 फ्यूचर और ऑप्शन अनुबंध में ध्यान में रखने के लिए प्रमुख कारक क्या हैं?

आपको फ्यूचर्स या ऑप्शंस अनुबंध में इन तीन मापदंडों की सावधानीपूर्वक निगरानी करनी चाहिए –
-अंतर्निहित परिसंपत्ति जिसका कारोबार किया जाना है
-परिसंपत्ति की ट्रेडिंग वॉल्यूम और उसकी कीमत (जिस पर अनुबंध का कार्यान्वयन (execution) होगा)
-अनुबंध कार्यान्वयन की तिथि 

2 मार्जिन मनी क्या है?

मार्जिन मनी वह राशि है जिसे फ्यूचर्स अनुबंध शुरू करने से पहले जमा करवाने की आवश्यकता होती है। ब्रोकरेज कंपनी द्वारा आवश्यक स्तर पर मार्जिन को बनाए रखा जाना ज़रूरी है और ट्रेड सेटलमेंट के बाद शेष मार्जिन मनी ट्रेडर को वापिस की जा सकती है।

3 यदि आप फ्यूचर अनुबंध का निपटान (settlement) नहीं करते तो क्या होगा?

यदि आप एक्सपायरी से पहले अपनी पोजीशन को बंद नहीं करना चाहते हैं, तो आपको डिलीवरी लेनी होगी या खरीदार को उत्पाद की आपूर्ति करनी होगी। फ़्यूचर्स अनिवार्य अनुबंध हैं, इसलिए आपको समाप्ति तिथि के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है, अन्यथा इसमें आपका नुकसान हो सकता है।

4 फ्यूचर्स और ऑप्शन ट्रेडिंग में क्या अंतर है

फ्यूचर्स और ऑप्शन डेरिवेटिव बाज़ार में कारोबार करने वाले दो प्रमुख वित्तीय साधन हैं। फ्यूचर्स अनिवार्य अनुबंध हैं जो आपको पूर्व-निर्धारित मूल्य पर भविष्य की तारीख में एक अंतर्निहित स्टॉक या इंडेक्स खरीदने या बेचने के लिए ‘बाध्य’ करते हैं।

ऑप्शन अनुबंध पूर्व – निर्धारित तिथि पर सहमत मूल्य पर अंतर्निहित स्टॉक या इंडेक्स को खरीदने या बेचने का विकल्प देता है। इसमें वायदा अनुबंध की तुलना में अपेक्षाकृत कम मार्जिन की आवश्यकता होती है, इसलिए ये ऐसे रिटेल ट्रेडर्स के लिए लाभदायक है जो छोटी मात्रा में पैसा लगाने की क्षमता रखते हैं। .

5 फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स की समाप्ति तिथि (expiry date) क्या है?

प्रत्येक माह का अंतिम गुरुवार इन अनुबंधों के लिए समाप्ति तिथि के रूप में रखा गया है।

Related Articles

Download one of India's best wealth management apps

Join more than one million investors and take control of your wealth

Download app