बाज़ार से सम्बंधित निवेशों में पैसिव निवेश सबसे प्रभावी लागत वाले, सरल व चुनिंदा विकल्प के रूप में उभरे हैं।विकसित देशों में ये बहुत समय से प्रचलन में हैं और अधिकतर निवेशकों की भरोसेमंद पसंद रहे हैं।भारतीय परिदृश्य में पिछले कुछ वर्षों से ही निवेशकों का रुझान इनकी ओर बढ़ा है।
आईये देखते हैं पैसिव निवेश आखिर क्या होते हैं और आप इनका लाभ कैसे उठा सकते है।
सक्रिय और निष्क्रिय निवेश (Active and passive investing)
सक्रिय और निष्क्रिय निवेश के बारे में यहाँ पढ़िए
सक्रिय निवेश (Active investing)
निवेशक जब म्यूचुअल फंड में निवेश करने का निर्णय लेते हैं, तो इस एकत्रित धन को एक फंड मैनेजर को सौंप दिया जाता है जो इसका प्रबंधन करता है और निवेशकों के धन -सृजन के लिए निवेश करता है। वह इक्विटी स्टॉक्स या प्रतिभूतियों को एक पूर्व नियोजित मानदंड के अनुसार चुनता है और अपने अनुभव व समझ के साथ-साथ फंड के लिए चुनी गई रणनीति के अनुसार नियमित परिवर्तन भी करता है।
निवेश के इस तरीके को ‘सक्रिय निवेश’ और इस रणनीति को ‘सक्रिय निवेश रणनीति’ कहा जाता है।
पैसिव निवेश (Passive investing)
यह है ‘कुछ न करने’ या ‘निष्क्रिय’ रहने की रणनीति- जब निवेशकों द्वारा संग्रहित धन का उपयोग ‘पूरे बाज़ार’ या संपूर्ण ‘सूचकांक’ खरीदने के लिए किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को ‘निष्क्रिय निवेश’ या ‘पैसिव निवेश’ कहा जाता है। इसमें कोई प्रबंधक या प्रबंधन टीम स्टॉक या प्रतिभूतियां खरीदने या बेचने का कार्य नहीं करतीं और न ही कोई निवेश सम्बन्धी निर्णय लिया जाता है।
निष्क्रिय रूप से निवेश करके, निवेशक स्वचालित रूप से उन शेयरों या प्रतिभूतियों में निवेशित हो जाते हैं, जो उस सूचकांक का हिस्सा होते हैं।’निष्क्रिय निवेश रणनीति’ एक इंडेक्स की पूरी तरह से नकल करती है। इसलिए ‘पैसिव निवेश’ को ‘इंडेक्स निवेश’ भी कहा जाता है।
इंडेक्स क्या है ?
म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन को जांचने के लिए, उसके रिटर्न की दर को उसके ‘बेंचमार्क’ के साथ मापा जाता है। यह बेंचमार्क एक ‘इंडेक्स’ होता है।’इंडेक्स’ या ‘सूचकांक’ बाज़ार के एक विशिष्ट क्षेत्र की प्रतिभूतियों या स्टॉक्स के प्रदर्शन को जांचता है। ‘इंडेक्स’ में विशेष श्रेणी, एक या अनेक तरह के उद्योगों के स्टॉक्स या अन्य प्रतिभूतियों का एक संग्रह होता है। इंडेक्स को विशेष रूप से परिभाषित गणना पद्धति के साथ तैयार किया जाता है।
इंडेक्स के उदाहरण – भारत में बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex), निफ्टी 50 (Nifty 50) और निफ्टी नेक्स्ट 50 (Nifty Next 50), अमेरिका का एस एंड पी 500 इंडेक्स (S&P 500)
पैसिव निवेश के लाभ
पैसिव निवेश के कुछ लाभ यहाँ दिए गए हैं
कम लागत
निष्क्रिय रूप से प्रबंधित निवेश उत्पादों में सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड की तुलना में कम व्यय अनुपात होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टॉक या प्रतिभूतियों के चयन में फंड मैनेजर या फंड टीम की भूमिका बहुत कम होती है और फंड प्रबंधन या अन्य शुल्क नहीं होते।
पारदर्शिता
प्रमुख बेंचमार्क अपने कामकाज में पारदर्शिता रखते हैं। निवेशक कोई भी बदलाव या अपडेट आसानी से देख सकते हैं।इंडेक्स में बदलाव के साथ ही वे फंड में अपडेट की जांच कर सकते हैं।
विविधीकरण (diversification)
बेंचमार्क सूचकांकों की संरचना व्यापक बाजार प्रतिनिधित्व और भागीदारी की दृष्टि से की जाती है। इसमें बाज़ार के विभिन्न क्षेत्र और खंड सम्मिलित रहते हैं।निष्क्रिय निवेश रणनीति एक ही निवेश उत्पाद के माध्यम से बाज़ार के अलग -अलग क्षेत्रों में विविधीकरण का लाभ प्रदान करती है।
अधिक रिटर्न
निवेशकों को यह ध्यान में रखने की आवश्यकता है कि लंबी अवधि में पैसिव निवेशों की कम लागत उनके लिए लाभदायक है। कम व्यय-अनुपात लंबी अवधि में पूंजी को पर्याप्त बढ़ावा देने में सहायता करता है।
कम जोख़िम
सक्रिय फंड में गलत स्टॉक/ कंपनी या गलत समय पर चुनाव का जोख़िम होता है। चूंकि पैसिव फंड या रणनीति में ऐसा कोई विकल्प नहीं है, निवेशकों के लिए इस प्रकार के जोख़िम कम हो जाते हैं।
पैसिव निवेश प्रकार
भारत में पैसिव निवेश प्रमुख तौर पर तीन प्रकार से किया जा सकता है –
- इंडेक्स फंड्स
‘इंडेक्स’ में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड को इंडेक्स फंड कहते हैं।इंडेक्स फंड अपने बेंचमार्क सूचकांक का अनुसरण करता है तथा उसी के समान अनुपात में स्टॉक्स या प्रतिभूतियां खरीदता है।यह अपने बेंचमार्क इंडेक्स की लगभग प्रतिकृति है।
उदाहरण – यदि किसी इंडेक्स में ABC कंपनी का अनुपात 9% है, तो इस इंडेक्स को बेंचमार्क मानने वाला इंडेक्स फंड अपने पोर्टफोलियो का 9% ABC कंपनी के स्टॉक को आबंटित करेगा।
इंडेक्स फण्ड की कुछ विशेषतायें
- यह एक विविध (diversified) फंड है जहां फंड मैनेजर की एकमात्र भूमिका इंडेक्स में उनके प्रतिनिधित्व के अनुसार शेयरों का चयन करना है
- चूंकि यह सूचकांक का केवल ‘अनुकरण’ कर रहा है, अतः फंड का प्रदर्शन सूचकांक के रिटर्न के समान होता है
- इसकी लागत बहुत कम है जो इसे हर प्रकार के निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है
- इंडेक्स फंड का प्राथमिक उद्देश्य बेंचमार्क के रिटर्न से मेल खाना है
- इसमें मानवीय हस्तक्षेप लगभग नगण्य है
- जब भी सूचकांक के घटकों में परिवर्तन होता हैं,पोर्टफोलियो में भी वह बदलाव आता है
इंडेक्स फंड के कुछ नुकसान
- सीमित रिटर्न
इंडेक्स फंड का प्राथमिक उद्देश्य बेंचमार्क को दोहराना है, उससे बेहतर प्रदर्शन करना नहीं
- कम विकल्प
भारत में बेंचमार्क निवेश अभी नया है और प्रमुख सूचकांकों को परिपक्वता से परिभाषित नहीं किया गया है
- ट्रैकिंग गलती (tracking error)
बेंचमार्क रिटर्न और इंडेक्स फंड रिटर्न में थोड़ा अंतर होता है। दोनों के बीच इस अंतर को ट्रैकिंग त्रुटि कहा जाता है। यह अन्तर्निहित शुल्क, पोर्टफोलियो मिलान में अंतर या लाभांश के कारण हो सकता है
- ईटीएफ (Exchange Traded Fund)
ईटीएफ में, म्यूचुअल फंड की तरह शेयर, बॉन्ड और सोने जैसी संपत्तियों में निवेश किया जाता है। संरचना में ईटीएफ, इंडेक्स म्यूचुअल फंड के समान हैं।
म्यूचुअल फंड और ईटीएफ के बीच प्राथमिक अंतर यह है कि ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंजों पर शेयरों की तरह व्यापार करते हैं।इसलिए निवेशक एक्सचेंज पर ईटीएफ खरीद और बेच सकते हैं।
ईटीएफ में निवेश करने के कुछ प्रमुख कारण
- तरलता (liquidity)
पोर्टफोलियो में विविधता प्रदान करने के अलावा, ईटीएफ तरलता प्रदान करते हैं।इनमें कोई लॉक-इन नहीं होता। इसलिए निवेशक अपनी आवश्यकता अनुसार जब चाहे तब बाज़ार के समय इसे बेच सकते हैं।
- सीधे शेयर खरीदने से अधिक लाभदायक
किसी एक अथवा कुछ कंपनियों के शेयर खरीदना पोर्टफोलियो की क्षमता को सीमित कर देता है, जिससे निवेशकों के पोर्टफोलियो का जोख़िम भी बढ़ता है। ईटीएफ के माध्यम से निवेशक अपने धन को विभिन्न कंपनियों की इक्विटी में रख सकते हैं – इससे जोख़िम कम हो जाता है। किसी एक शेयर के खराब प्रदर्शन की भरपाई अन्य शेयरों में वृद्धि से की जा सकती है।
- लागत प्रभावशीलता
ईटीएफ को सक्रिय रूप से प्रबंधित नहीं किया जाता है, इसलिए इनमें व्यय अनुपात तुलनात्मक रूप से कम होता है। इनमें कमीशन अथवा प्रबंधन-शुल्क नहीं होता जिससे निवेशकों का अधिकांश पैसा फंड में जाता है।
- एकल (single) लेनदेन
ईटीएफ के माध्यम से एकल और स्वतंत्र ‘मिनी पोर्टफोलियो’ में निवेशित होने जैसा है।यदि निवेशक ने निजी बैंकों के ईटीएफ में निवेश किया है, तो उसे केवल निजी बैंकिंग इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करने की आवश्यकता है।
- लचीलापन (flexibility)
म्यूचुअल फंड के विपरीत ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंजों में बाज़ार के दौरान खरीदा और बेचा जा सकता है। इंट्राडे-ट्रेडिंग की तरह इनका दैनिक आधार पर कारोबार किया जा सकता है।
ईटीएफ के कुछ नुकसान
- डीमैट खाता
ईटीएफ खरीदने और बेचने के लिए डीमैट खाते की आवश्यकता होती है
- ब्रोकरेज
डीमैट खता खुलवाने, संचालन करने और प्रत्येक खरीद व बिक्री के दौरान भी कुछ शुल्क शामिल होते हैं
- अस्थिरता
ईटीएफ भी शेयर बाज़ारों से जुड़ी अस्थिरता के अधीन हैं
- सीमित विविधीकरण
ये निष्क्रिय रूप से प्रबंधित होते हैं इसलिए विविधीकरण सीमित रहता है
3. फंड ऑफ़ फंड्स
ये फंड स्वयं स्टॉक्स या प्रतिभूतियां न खरीद कर दूसरे फंड्स में निवेश करते हैं। इन्हें विभिन्न म्यूचुअल फंड्स के संग्रह के रूप में समझा जा सकता है।अपने उद्देश्य के अनुसार ये म्यूचुअल फंड्स एक ही फंड हाउस या अलग-अलग फंड हाउस से हो सकते हैं।
फंड ऑफ़ फंड्स के लाभ –
- व्यवसायिक दक्षता
म्यूचुअल फंड पेशेवर रूप से अनुभवी व योग्य फंड – प्रबंधकों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं और फंड ऑफ फंड्स उच्चतम स्तर की विशेषज्ञता प्रदान करते हैं
- विविधीकरण
चूंकि यह म्यूचुअल फंड के संग्रह में निवेश करता है, फंड ऑफ फंड्स अधिक विविधीकरण प्रदान करता है
- कम लागत
निवेशक को फंड ऑफ फंड्स के माध्यम से विभिन्न प्रकार के शेयरों और प्रतिभूतियों में निवेश करने का लाभ मिलता है। यह अगर व्यक्तिगत रूप से किया जाता है, तो बहुत महंगा हो सकता है
फंड ऑफ़ फंड्स के कुछ नुकसान
- उच्च व्यय-अनुपात
अन्य पैसिव निवेशों की तुलना में इसमें अधिक शुल्क हैं
- अधिक विविधीकरण
चूंकि फंड ऑफ फंड्स विभिन्न म्युचुअल फंड्स का एक संग्रह है, कभी-कभी यह आवश्यकता से अधिक विविधीकरण का कारण बन सकता है
- पारदर्शिता की कमी
एक से अधिक फंड वाले फंड ऑफ फंड्स को समझना कठिन हो सकता है
- पोर्टफोलियो में दोहराव
समान स्टॉक्स या प्रतिभूतियों का दोहराव (overlap) हो सकता है
पैसिव निवेश-उचित विकल्प
निवेश की दुनिया विविध और विशाल है। हर प्रकार के निवेशक के लिए उचित निवेश विकल्प उपलब्ध है। निवेशक को अपनी आवश्यकता के अनुसार निवेश की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए जिसके साथ वे सहज हैं।
धन-सृजन तब होता है जब उसे अच्छे निवेश में लंबी अवधि के लिए चक्रवृद्धि के लिए छोड़ दिया जाता है।
पैसिव निवेश इसका सशक्त उदाहरण है।
पैसिव निवेश से सम्बंधित कुछ प्रश्न (FAQS)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पैसिव फंड बाज़ार से संबंधित उत्पादों से जुड़े जोख़िम के साथ आते हैं। इनमें उतना ही जोख़िम है जितना विविध इक्विटी म्यूचुअल फंड्स या अन्य उत्पादों के साथ होता है।
पैसिव फंड उस इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराने का प्रयास करते हैं जिसका वह अनुकरण करते हैं। इनमें अनुपात शुल्क सबसे कम होता है।यदि इनका इंडेक्स अच्छा करेगा तो उसी अनुपात में इनका प्रदर्शन भी अच्छा रहेगा और कम व्यय से निवेशक को अधिक रिटर्न मिलेगा।किन्तु ये सबसे अधिक रिटर्न दें, ऐसा आवश्यक नहीं है।
पैसिव फंड में निवेश का एक कारण यह है कि यह फंड मैनेजर के पूर्वाग्रहों को दूर करता है।फंड मैनेजर को बाज़ार की चाल के साथ चलना पड़ता है। पैसिव फंड में उसके बेंचमार्क में किसी परिवर्तन से ही पोर्टफोलियो संरचना में बदलाव होगा- इसलिए इसमें फंड मैनेजर की अधिक भूमिका नहीं होती है।
ऐसा आवश्यक नहीं है। यह बेंचमार्क इंडेक्स से बहुत ऊपर के रिटर्न की चिंता किए बिना इक्विटी बाज़ारों से लाभ उठाने का अवसर देता है, वह भी न्यूनतम लागत पर। यदि निवेशक को बाज़ार, जोख़िम और रिटर्न की बुनियादी समझ है, तो इंडेक्स फंड उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होंगे – चाहे नए निवेशक हों या अनुभवी। इसके बाद वे विविध फंड्स और अन्य उत्पादों में निवेश कर सकते हैं।
सुदृढ़ पोर्टफोलियो निर्माण के लिए सक्रिय और निष्क्रिय शैली का मिश्रण उचित है क्योंकि यह संतुलित दृष्टिकोण लाता है। सक्रिय निवेश में अनुभवी फंड मैनेजर की विशेषज्ञता और निष्क्रिय निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विकास में भागीदारी से निवेशक लाभान्वित हो सकते हैं।