डिज़िटाइज़ेशन और टेक्नोलॉजी में तेज़ी से हुई तरक्की के साथ आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया सरल हो गई है, किन्तु अगर आप उन लोगों में से हैं जो इसे आखिरी समय के लिए टालते रहते हैं, या पहली बार अपने आप रिटर्न भरने जा रहे हैं तो इस बात की संभावना है कि आप कुछ गलतियां कर बैठें।
कुछ ऐसी ही गलतियों और उनसे बचाव के तरीकों को समझते हैं –
1 गलत आईटीआर (Income Tax Return) फॉर्म चुनना
आईटीआर फॉर्म व्यक्तिगत आय के स्रोत या साधन (source of income) और करदाता के अनुसार (category of taxpayer) भरा जाता है – जैसे वेतनभोगी आय करदाताओं के लिए आईटीआर-1 फॉर्म का उपयोग किया जाता है।
लेकिन वेतन आय के अलावा निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ (Capital Gains) के मामले में आपको आईटीआर-2 फॉर्म का उपयोग करना होगा ।
यदि आयकर रिटर्न सही ढंग से भरा गया है, लेकिन जिस फॉर्म का उपयोग किया गया, वह गलत है, तो इसे आयकर विभाग द्वारा दोषपूर्ण माना जाता है। आपको बाद में ऐसे रिटर्न को दोबारा भरना पड़ेगा।
2 गलत आकलन वर्ष (Assessment Year) चुनना
आयकर दाखिल करने का कार्य सही आकलन वर्ष (या निर्धारण वर्ष) का चयन करने से शुरू होता है। आपको पता होना चाहिए कि वित्तीय वर्ष (Financial Year or FY) और आकलन वर्ष के बीच अंतर होता है। यह पहली बार रिटर्न भरने वालों के लिए समझना महत्वपूर्ण है।
वित्तीय वर्ष वह वर्ष होता है जिसमें आय ‘अर्जित’ की जाती है जबकि आकलन वर्ष वह अवधि है जिसके दौरान वित्तीय वर्ष से अर्जित आय का टैक्स के लिए आकलन किया जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं : 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 में आपने अपनी आय अर्जित की है, इस अवधि को वित्तीय वर्ष 2021 – 22 कहा जायेगा।
इस अर्जित आय का आकलन आप 1 अप्रैल, 2022 से आरम्भ होने वाले कार्यकाल में करेंगे और रिटर्न दाखिल करेंगे। इसलिए इसे आकलन या निर्धारण वर्ष 2022 – 23 कहा जायेगा।
आकलन वर्ष का चयन करते समय आपको सावधान रहना चाहिए क्योंकि गलत चयन के कारण गलत टैक्स-फाइलिंग, आईटीआर दाखिल करने में देरी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
3 गलत पैन, बैंक या आधार विवरण साझा करना
आपको टैक्स रिटर्न भरते समय अपनी मूल जानकारी जैसे बैंक खाता, ईमेल आईडी, पैन (Permanent Account Number), आधार नंबर आदि भरते समय सावधान रहना चाहिए।पैन नंबर गलत होने की स्तिथि में आयकर विभाग द्वारा आपकी रिटर्न को अस्वीकार किया जा सकता है।
आपका नाम और जन्म तिथि भी आपके पैन कार्ड में दी गयी जानकारी से मेल खानी चाहिए। आपको अपना सही फ़ोन नंबर और ईमेल आईडी आयकर विभाग को प्रदान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन्हीं के माध्यम से वे आपको सूचना देते हैं या आपसे कोई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ये भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि जो बैंक खाता आपने दिया है वह सक्रिय खाता (active account) है जिससे टैक्स रिफंड की स्तिथि में आपको कोई परेशानी न हो।
4 बचत खाते का ब्याज घोषित नहीं करना
बैंक से ब्याज आय को टैक्स रिटर्न में रिपोर्ट किया जाना चाहिए और ‘अन्य स्रोतों से आय’ (Income from other sources) के रूप में दिखाया जाना चाहिए।
इसी तरह, डाकघर योजनाओं और कुछ छोटी बचत योजनाओं पर अर्जित ब्याज पूरी तरह से कर – योग्य है और रिटर्न भरते समय इसकी सूचना अवश्य दी जानी चाहिए।
अगर किसी वित्तीय वर्ष में बचत खाते, एफडी या आरडी से ब्याज 10,000 रु से अधिक है, तो बैंक टीडीएस (Tax deducted at source) काटता है। आपको ध्यान देना चाहिए कि टीडीएस का मतलब यह नहीं है कि आगे कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है।
टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय इसकी सूचना अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए।
5 सभी आय स्रोतों का खुलासा नहीं करना
आयकर भरते समय आपको सभी प्रकार की आय की जानकारी देना सुनिश्चित करना चाहिए। इसमें सैलरी के अलावा निवेश से आय शामिल है जैसे – एफडी से ब्याज, म्यूचुअल फंड, बांड या किसी अन्य संपत्ति की बिक्री से होने वाला पूंजीगत लाभ (Capital Gains)। इस प्रकार की आय को ‘अन्य स्रोतों से आय’ श्रेणी के तहत दर्शाया जाना चाहिए।
अगर वित्तीय वर्ष में आपकी कोई ऐसी आय है जिस पर आयकर की किसी धारा के अंतर्गत छूट प्राप्त है, तब भी इसे आपको आईटीआर भरते समय दिखाना होगा। आय के किसी भी स्रोत को नहीं दिखाने पर आपको आयकर विभाग से नोटिस आ सकता है।
ऐसा होने पर आपको अपने रिटर्न को दोबारा ठीक से भरना होगा और गलत जानकारी देने या जानकारी छुपाने का कारण भी बताना होगा।
6 फॉर्म 26एएस (Form 26AS) के साथ टीडीएस का मिलान न करना
आपको आईटीआर फाइल करने से पहले फॉर्म 26एएस की जांच कर लेनी चाहिए।
(फॉर्म 26एएस में आपकी वित्तीय वर्ष की कर कटौती (TDS) की सारी जानकारी होती है। इस फॉर्म में संपत्ति या म्यूचुअल फंड की खरीद या बिक्री, बैंक में जमा नकद या बचत खाते से निकाली गयी राशि आदि का विवरण भी दिखता है)
फॉर्म 26एएस को ऑनलाइन ई – फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
इसे एम्प्लायर द्वारा जारी किए गए फॉर्म 16 से सत्यापित किया जा सकता है।
आपका एम्प्लायर हर साल आपको फॉर्म 16 प्रदान करता है। फॉर्म 16 में वित्तीय वर्ष के दौरान आपकी अर्जित आय, टैक्स कटौती और वर्ष के दौरान किए गए निवेश का विवरण होता है। इसे वेतनभोगी कर्मचारियों द्वारा वेतन प्रमाण – पत्र के रूप में भी समझा जा सकता है। फॉर्म 16 की सहायता से आप आसानी से आयकर रिटर्न तैयार करके भर सकते हैं।
अपने फॉर्म 26AS की जांच करते समय आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसमें सभी आवश्यक टैक्स क्रेडिट उपलब्ध हैं, अन्यथा आपको उस कर – कटौती के लिए क्रेडिट नहीं मिलेगा जो फॉर्म 26एएस में नहीं है।
यह सुनिश्चित करना आपका काम है कि फॉर्म 26एएस में दी गई जानकारी सही और बिलकुल नई है। आपके फॉर्म 26एएस और फॉर्म 16 के बीच अंतर होने से कम रिफंड या अधिक टैक्स देय हो सकता है।
7. पिछली नौकरी से आय की जानकारी नहीं दिखाना / छुपाना
यदि आपने वित्तीय वर्ष के दौरान नौकरी बदली है, तो आईटीआर जमा करते समय पिछली नौकरी से होने वाली आय को वर्तमान नौकरी की आय के साथ सूचित किया जाना चाहिए। यदि पिछली नौकरी से आय की सूचना नहीं दी जाती है, तो इससे आपके फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस में अंतर दिखेगा। ऐसा होने पर आयकर विभाग आपसे आवश्यक जानकारी के साथ – साथ अतिरिक्त बकाया कर (यदि लागू हो) के लिए नोटिस भेज सकता है।
आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि पूरे वित्तीय वर्ष के लिए आय की सूचना देनी ज़रूरी है और इस अवधि के दौरान एक या एक से अधिक एम्प्लॉयर्स से पूरी जानकारी दर्शाना आपकी जिम्मेदारी है।
8. आईटीआर सत्यापन (verification) पूरा नहीं करना
ऑनलाइन आईटीआर जमा करने के बाद, आपको अपने रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर आईटीआर – वी (Income Tax Return – Verification) फॉर्म प्राप्त होगा। इस ऑनलाइन टैक्स रिटर्न को सत्यापित करना आवश्यक होता है और इसी से ई – फाइलिंग को पूरा माना जाता है। आईटीआर सत्यापन 6 अलग तरीकों में से किसी भी एक का उपयोग करके किया जा सकता है –
i) आईटीआर – वी की हस्ताक्षरित (signed) कॉपी बेंगलुरु में सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) को रिटर्न दाखिल करने के 120 दिनों के भीतर भेजकर
या –
ii) आधार ओटीपी
iii) डीमैट खाता
iv) बैंक खाता
v) नेट बैंकिंग
vi) बैंक एटीएम
का उपयोग करके ई – सत्यापन कर सकते हैं। यह आप घर बैठे – बैठे आसानी से कर सकते हैं। यदि आप अपने आयकर रिटर्न को सत्यापित नहीं करते हैं, तो इसे वित्तीय वर्ष के लिए डिफ़ॉल्ट माना जाएगा।
आमतौर पर की गई इन गलतियों को पहले से ध्यान में रख कर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि आप ये गलतियां न करें और किसी भी परेशानी से बच सकें।
सही तरीके से रिटर्न भरना आपके वित्तीय जीवन के प्राथमिक कार्यों में से एक है। यह कठिन नहीं है किन्तु आवश्यकता इस बात की है कि इसे समझ कर और सावधानी पूर्वक किया जाये।