निवेश के विकल्प अलग अलग तरीकों से आ सकते हैं – जैसे स्टॉक्स, बांड्स, बैंक एफडी या सोना भी। सोने का निवेश पुराने दिनों की तरह सिर्फ भौतिक सोना जमा करने के बारे में नहीं है। आज, सोने का निवेश कई विकल्पों के साथ आता है, जैसे सॉवरेन गोल्ड बॉन्डस (SGB), डिजिटल गोल्ड, आदि।
इनमें हर निवेश विकल्प अपनी अलग सुविधाएँ, लाभ और जोख़िम के साथ आता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्डस और डिजिटल गोल्ड दोनों निवेश के दो अच्छे रास्ते हैं, नए निवेशक अक्सर सोच में पड़ सकते हैं कि कौन सा निवेश करना सुरक्षित है और कौन सा बेहतर रिटर्न देता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) RBI द्वारा जारी सरकारी सिक्योरिटीज़ हैं जो प्रति ग्राम के हिसाब से जारी की जाती हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेश से होने वाले कुछ लाभ समझते हैं :
निवेश के उद्देश्य से सोना खरीदने के इच्छुक निवेशकों के लिए एसजीबी एक अच्छा विकल्प है। इसमें निवेश सुनिश्चित करता है कि सोने की क्वालिटी बनी रहे और निवेशक उससे संबंधित जोखिमों से खुद को सुरक्षित कर सकें।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेश के साथ निवेशक भौतिक सोने के स्टोरेज की लागत को बचा सकते हैं। क्यूंकि यह डिजिटल निवेश है, इसलिए इसे निवेशक के डीमैट खाते में रखा जाता है।
एसजीबी के निवेश में 2.5 % ब्याज मिलता है जो सोने के और किसी निवेश विकल्प में नहीं मिलता। इस ब्याज का लाभ इन्हें आकर्षक विकल्प बनाता है क्योंकि निवेशक को सोने पर आय प्राप्त होती है जो सीधा उनके लिंक किए गए बैंक खाते में जमा हो जाती है।
एसजीबी के मैचुरिटी पर होने वाला कोई भी कैपिटल गेन पूरी तरह से कर मुक्त है। यह ख़ास तौर पर लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश अवसर प्रदान करता है।
अगर सोने का बाज़ार भाव निवेशक के खरीद भाव से कम हो जाता है तो एसजीबी में नुकसान का जोख़िम होता है। यह केवल सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के साथ नहीं है और निवेश के रूप में किसी भी प्रकार के सोने पर लागू होता है।
हालांकि, केंद्रीय बैंक (आरबीआई) निवेशकों को इस बात का आश्वासन देता है कि जहां तक एसजीबी के माध्यम से आवंटित सोने की मात्रा (क्वांटिटी) का संबंध है, उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।
डिजिटल सोना, जैसा कि नाम से पता चलता है, सोने को संभालने और निवेश करने का एक वर्चुअल तरीका है। इसे आसानी से ऑनलाइन खरीदा जा सकता है।
डिजिटल गोल्ड में निवेश के कुछ फायदे हैं :
डिजिटल गोल्ड में निवेश करते समय ध्यान रखने वाली कुछ बातें हैं :
नीचे दिए गए टेबल में एसजीबी और डिजिटल गोल्ड के बीच मुख्य अंतर दिए गए हैं जो निवेशकों को इन दो गोल्ड निवेश विकल्पों के बीच चयन करने में मदद कर सकते हैं :
डिजिटल गोल्ड | सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड | |
ट्रेडिंग | एक्सचेंज में ट्रेड नहीं होते और इन्हें 24 / 7 ऑनलाइन खरीदा / बेचा जा सकता है | ये एक्सचेंज में ट्रेड होते हैं, इसलिए केवल बाज़ार के कामकाज के दौरान ही खरीदे / बेचे जा सकते हैं |
लॉक-इन अवधि | कोई लॉक – इन अवधि नहीं है | 5 साल |
स्टोरेज | इस निवेश में फिजिकल वॉल्ट में रखे वास्तविक सोने की खरीद / बिक्री शामिल है | यहां वास्तविक सोना शामिल नहीं है और एसजीबी सोने की कीमत के बराबर रेफरेन्स के रूप में कार्य करता है |
खर्चे | एकमुश्त जीएसटी @ 3% | डीमैट खाता खोलने और लेनदेन की लागत |
निवेश राशि | ज़्यादा किफायती क्योंकि न्यूनतम निवेश 1 रु है | सभी के लिए किफायती नहीं है क्योंकि न्यूनतम निवेश 1 ग्राम सोना है |
रेगुलेशन | किसी भी रेगुलेटर द्वारा मॉनिटर नहीं होता | आरबीआई द्वारा जारी और सॉवरेन गारंटी के साथ आता है |
जोख़िम | नुकसान का अधिक जोख़िम | नुकसान का कम जोख़िम |
ब्याज | कोई ब्याज नहीं मिलता | 2.5% वार्षिक ब्याज है – अर्ध वार्षिक पेमेंट मिलता है |
टैक्स | डिजिटल सोने को भौतिक सोने जैसा माना जाता है। 36 महीने से कम समय पर रिटर्न स्लैब के हिसाब से कर – योग्य है। 36 महीने के बाद लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 20% की दर से टैक्स लागू होता है। | मैचुरिटी पर एसजीबी पर कोई भी कैपिटल गेन पूरी तरह से टैक्स मुक्त है |
डिजिटल सोना आजकल कई लाइसेंस प्राप्त फिनटेक प्लेटफॉर्म्स द्वारा ऑनलाइन बेचा जाता है। सोने के सिक्कों और गोल्ड बार्स में बड़ी रकम निवेश करने के बजाए इसमें निवेश एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
वहीं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों को बैंक फिक्स्ड डिपाजिट की तरह ब्याज दर कमाने के साथ – साथ सोने की कीमतों में उतार – चढ़ाव से लाभ उठाने की सुविधा देते हैं।
ये दोनों वास्तविक भौतिक सोना खरीदने से बचने का बढ़िया विकल्प देते हैं। इसलिए निवेश का फैसला पूरी तरह से निवेशक की चॉइस और निवेश के उद्देश्य पर निर्भर करता है। निवेश से पहले निवेशकों को इन सब विकल्पों की मूल बातें समझ लेनी चाहिए।
निवेश पोर्टफोलियो में सोने या सोने से संबंधित एसेट्स को मिलाने से जोख़िम में डायवर्सिफिकेशन लाने और रिटर्न में बैलेंस बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
सोना लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न देने के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग निवेशकों द्वारा पोर्टफोलियो के लिए हेजिंग के रूप में भी किया जाता है।
डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड भारत में उपलब्ध सोने से संबंधित कुछ निवेश विकल्प हैं।
भौतिक सोना अक्सर शुद्धता और सुरक्षा के जोख़िम के साथ आता है।
डिजिटल सोने में कोई रेगुलेटर या मॉनिटरिंग नहीं है।
गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेशकों को बाज़ार की अस्थिरता का जोख़िम उठाना पड़ता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में सरकार द्वारा डिफॉल्ट का बहुत मामूली जोख़िम होता है।
डिजिटल गोल्ड में न्यूनतम 1 रु के निवेश की जरूरत होती है।
फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड अच्छी लिक्विडिटी प्रदान करते हैं, क्योंकि इन्हें किसी भी समय खरीदा और बेचा जा सकता है।
जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5 साल की लॉक – इन अवधि होती है और इसलिए ये कम लिक्विड होते हैं।
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