नए निवेशक -शेयर मार्किट में कैसे इन्वेस्ट करें

भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार के लिए पिछले दो वर्षों का सबसे महत्वपूर्ण एवं सकारात्मक पहलू रहा है- नए निवेशकों का प्रवेश। मार्च 2020 के निचले स्तर से 2021 के उच्चतम स्तरों ने कई निवेशकों को आकर्षित किया – कई निवेशक तो शेयर बाजार को ‘तुरंत पैसा बनाने’ के विकल्प के रूप में भी देखने लगे थे।

किन्तु कम समय में जोख़िम भरे दांव लगाने की तुलना में समय और धैर्य के साथ लिए गए निर्णय सार्थक साबित होते हैंI 

इसमें संदेह नहीं है कि इक्विटी निवेश (शेयर मार्किट) जोख़िम भरा निवेश है, किन्तु यह अन्य सभी विकल्पों की तुलना में सबसे अधिक रिटर्न भी देता है। 

नए निवेशक – शेयर मार्किट में कैसे इन्वेस्ट करें ?

पहले कदम

नए निवेशकों को शेयर मार्किट में उतरने से पहले इन प्रश्नों का मूल्यांकन करना चाहिए –

  • क्या वे शेयर मार्किट में प्रत्यक्ष निवेश (direct investing) को समझने और उसका विश्लेषण करने में सक्षम हैं?
  • क्या उन्हें बुनियादी गणित (basic maths) की समझ है और अलग-अलग कंपनियों के अध्ययन में रुचि है?
  • क्या वे शोध के लिए पर्याप्त समय दे पाएंगे?
  • क्या वे केवल विभिन्न कंपनियों और उनके कामकाज के विषय में पढ़ने में रुचि रखते हैं, या उनके व्यवसायों को समझकर उनसे लाभ पाने के लिए?

ये बहुत ही बुनियादी सवाल हैं लेकिन निवेशकों को शेयर मार्किट में निवेश के प्रति अपना दृष्टिकोण तय करने में सहायता  करेंगे।

इनसे वे इस निर्णय पर पहुंच सकते हैं कि :

1 क्या वे सीधे शेयरों में निवेश करना चाहते हैं

यदि निवेशक धैर्यवान है, अनुशासित है, समुचित समय दे सकता है, शोध और मूल्यांकन करने की इच्छा रखता है- तो निश्चित ही समय के साथ शेयर मार्किट से अच्छा रिटर्न कमा सकता है।

2 म्यूचुअल फंड के माध्यम से

यदि समय व इच्छाशक्ति का अभाव है और निवेशक स्वयं यह नहीं कर सकता तो वह परोक्ष रूप से, म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश लाभ उठा सकता है।म्यूचुअल फंड पेशेवर रूप से प्रबंधित होते हैं और छोटे निवेशकों को बहुत सारे लाभ प्रदान करते हैं।

3 एजेंट/ब्रोकर या मध्यस्थ के माध्यम से

निवेशकों के लिए एक अन्य विकल्प है – किसी मध्यस्थ के माध्यम से पोर्टफोलियो में निवेश। यह निवेशक की आयु, जोख़िम सहनशीलता और निवेश लक्ष्यों को ध्यान में रख कर उपयुक्त विकल्प प्रदान करते हैं। यह वित्तीय सलाहकार,  रोबो सलाहकार (robo-advisors), जैसे फिसदोमऍप  या कोई अन्य एजेंसी हो सकती है। ये निवेश का चयन करने के साथ-साथ उसकी कर दक्षता का भी ध्यान रखते हैं और समय के साथ उपयुक्त परिवर्तन भी सुझाते हैं।

शेयर मार्किट प्रत्यक्ष निवेशक (direct investors) – ध्यान दें

जिन निवेशकों ने सीधे निवेश करने का फैसला किया है –

  • -उन्हें शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक डीमैट खाता खुलवाना पड़ेगा
  • -वे अपने सक्रिय (active) बैंक खाते को इस डीमैट खाते से जोड़ सकते हैं
  • -फंड ट्रांसफर करने के पश्चात वे अपनी पसंद की कंपनियों के शेयरों में निवेश करना शुरू कर सकते हैं
  • -अपेक्षित राशि निवेशक के खाते से डेबिट हो जाती है और शेयर उनके डीमैट खाते में दिखाई देंगे

डीमैट खाता खोलने के लिए आवश्यक है

  • पैन कार्ड (PAN)
  • पहचान प्रमाण (identity proof)
  • निवास प्रमाण  (address proof)
  • पंजीकृत ब्रोकर (registered broker)
  • रद्द किया गया चेक (cancelled cheque)
  • बैंक खाता

शेयर मार्किट में निवेश सम्बंधित प्रमुख तथ्य

शेयर मार्किट में निवेश से पहले ऐसी कई महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका किसी भी नए निवेशक को ध्यान में रखना सहायक सिद्ध होगा –

1 निवेश राशि

निवेशित की जाने वाली राशि वह राशि नहीं होनी चाहिए जिसका उपयोग इन लक्ष्यों के लिए किया जाना है –

  • आवश्यक निकट-अवधि के लक्ष्य (essential near-term goals)
  • बच्चों की शिक्षा
  • सेवानिवृत्ति कोष
  • आपातकालीन निधि  (contingency fund)

शेयर बाज़ार में निवेश की जाने वाली राशि वही होनी चाहिए जिसका अगले पांच वर्ष या उससे अधिक समय तक उपयोग किए जाने की उम्मीद नहीं है। 

2 जोख़िम अनुरूप चुनाव

निवेशकों को अपने लक्ष्य व जोख़िम क्षमता के अनुरूप विकल्प तलाशना चाहिए, न कि दोस्तों या पड़ोसियों के कहने पर।जो शेयर या निवेश दूसरों के लिए लाभदायक रहा है, वह निवेशकों की वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होगा और उनके लक्ष्य भी भिन्न होंगे।इसलिए ‘जो चलन में है या लोकप्रिय है’ से बेहतर है कि निवेशक ‘अपने लक्ष्यों’ के अनुरूप सही विकल्प का चयन करें।निवेशकों को अपनी जोख़िम सहने की क्षमता का आकलन करना अत्यंत आवश्यक है।

3 उपयुक्त संपत्ति आवंटन (asset allocation)

संपत्ति आवंटन को पोर्टफोलियो निर्माण का आधार कहा जाता है। इसे तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है  –

  1. नकदी (बचत और बैंक जमा)
  2. निश्चित आय संपत्ति (Fixed Income assets) जैसे ट्रेजरी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड, डिपॉजिट सर्टिफिकेट
  3. इक्विटीज (equities/shares)

संपत्ति आवंटन को निवेश से जुड़े लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए। यह एक निवेशक के दृष्टिकोण से सभी पहलुओं का ध्यान रखता है जैसे जोख़िम-प्रबंधन, बाज़ार की अस्थिरता, लाभ-हानि और सम्पूर्ण पोर्टफोलियो से रिटर्न की उम्मीद आदि।

4 ज्ञान सृजन

शुरुआती निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार एक कठिन जगह हो सकती है। इसलिए इसके विषय में अध्ययन, बहुत सी जानकारी और मौलिक ज्ञान के साथ आरम्भ करना महत्वपूर्ण है।अच्छी जानकारी व निवेश ज्ञान से उत्तम रणनीति बनाई जा सकती है।अनुभवी विशेषज्ञों से सीखने से भी निश्चित रूप से सहायता मिलती है। 

5) तय समय-सीमा के साथ निवेश

निवेशकों में उद्देश्य की स्पष्टता और एक योजना होनी चाहिए। किसी भी निवेश से पहले एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए जिसमें परिभाषित रहे कि “यदि ऐसा होता है, तो मैं इसे बेचूंगा” या “यदि यह लक्ष्य भंग हो गया अथवा प्राप्त हुआ, तो मैं अधिक निवेश करूँगा “।

किसी भी वित्तीय उत्पाद में निवेश करते ही निवेशक उससे भावनात्मक रूप  से जुड़ जाते हैं (emotional attachment)। शेयर मार्किट में निवेश से पहले, न्यूनतम और अधिकतम समय सीमा और निवेशित रहने के लिए एक स्पष्ट रणनीति का होना आवश्यक है।

6) बचत दर

धन सृजन के मार्ग में मुद्रास्फ़ीति (inflation) सबसे बड़ी बाधा रही है और भविष्य में भी बनी रहेगी। निवेशक चाह कर भी इसे दूर नहीं कर सकते। समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार बचत दर में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक हैI 

निवेशकों को अपनी सालाना आय में से कम से कम 15-20% बचत की दर का लक्ष्य रखना चाहिए I यह भी ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि इस बचत दर में 5-10% हर वर्ष बढ़ाने से पोर्टफोलियो के प्रदर्शन एवं धन सृजन में उल्लेखनीय सुधार लाया जा सकता है।

7) नियंत्रण क्षेत्र

कुछ विषय ऐसे हैं जो कभी निवेशकों के नियंत्रण में नहीं होंगे। राजकोषीय घाटा (fiscal deficit), युद्ध, तेल, गैस और सोने की कीमतें और केंद्रीय बैंक की नीतियां – ये सब निवेशक के नियंत्रण से दूर हैं और हमेशा रहेंगे। 

बहुत कम लोग अर्थव्यवस्था, बाज़ारों और व्यापार पर इनसे होने वाले प्रभाव को समझ पाते हैं। निवेशकों का ध्यान उन बातों पर होना चाहिए जो उनके नियंत्रण में हैं, जैसे – जल्दी निवेश आरम्भ करना, बचत दर को बढ़ाना,आय के अन्य स्रोत पैदा करना तथा लाभांश देने वाली सम्पत्तियों में निवेश करना आदि। अतः अपने नियंत्रण क्षेत्र को समझते हुए निवेशकों को वर्तमान के निवेश से भविष्य में एक सार्थक बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए।

8) निवेश का उद्देश्य

लम्बी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो आज बाज़ारों का क्या हाल है, इस से निवेशकों को अधिक असर नहीं होना चाहिए।पांच या दस वर्षों में आज का निवेश मुद्रास्फीति के पश्चात अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखता है।

दीर्घकालिक निवेश में जोख़िम उठाया जा सकता है किन्तु अल्पावधि में पूंजी की सुरक्षा पर अधिक ध्यान होना चाहिए। 

9) निवेश एक सतत प्रक्रिया है (continuous process)

लघु अवधि में बाजार के रुझान, अस्थिरता, बढ़ती कीमतें, सरकारी बजट या नीतिगत परिवर्तन (policy changes) दीर्घकालिक निवेश को तब तक प्रभावित नहीं करते हैं, जब तक कि निवेश विकल्प में कोई मूल प्रभाव न हो।

बदलते परिदृश्य के साथ निवेश शैलियों और विकल्पों में बदलाव लाया जा सकता है, लेकिन निवेश की प्रक्रिया को बरक़रार रखना अत्यंत आवश्यक है।

10 ) चक्रवृद्धि रिटर्न (compounding)

नियमित अंतराल पर निवेश की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है, लेकिन इक्विटी तभी चक्रवृद्धि रिटर्न देती है जब लगातार लंबी अवधि के लिए निवेशित राशि को अछूता (undisturbed) छोड़ दिया जाए।जिन निवेशकों ने शेयर बाज़ार में काफी समय बिताया है, वे कंपाउंडिंग की शक्ति और धन सृजन में इसके लाभों की पुष्टि करते हैं।

11 )  उतार-चढ़ाव  (volatility)

बाज़ार कभी एक सीधी दिशा में नहीं चलते हैं-कई बार ये लगातार बढ़ते रहते हैं जबकि कभी – कभी, बिना किसी संकेत के, तेज़ी से नीचे आ सकते हैं। किन्तु निरंतर इन्हें देखकर अपना मार्ग निर्धारित करना कठिन है। छोटी अवधि में अधिक उतार-चढ़ाव की आशंका रहती है किन्तु लम्बी अवधि में इक्विटी आधारित निवेशों को उच्च रिटर्न दर के लिए जाना जाता है।  

12  निवेश का समय अधिक मायने नहीं रखता

कुछ निवेशक इंतज़ार करते हैं कि जब समय अच्छा हो जायेगा तब इक्विटी में निवेश करेंगे। उन्हें बाज़ार या तो महंगा प्रतीत होता है या वे न्यूनतम स्तर पर निवेश की राह देखते रहते हैं।

बाज़ार की दिशा की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। प्रभावी निवेश का उपाय है-नियमित निवेश।

सरल निवेश है सफल निवेश

अमेरिकी कारोबारी थॉमस बून पिकेन्स ने कहा था ” यदि आप हाथी का शिकार करने जा रहे हैं, तो खरगोश के लिए रास्ते से ना भटकें”।

निवेश और जीवन- इन्हें सरल बनाए रखने में ही समझदारी है। 

निवेशकों का उद्देश्य, समय सीमा और सही विकल्प का चयन – इन निर्णयों से ही सुदृढ़ भविष्य तय होता है।


करुणेश देव बैंकिंग प्रोफेशनल रह चुके हैं और इन्हें इंशोरेंस कंपनी और विदेशी बैंकों के विभिन्न विभागों में काम करने का अनुभव है। वित्तीय सलाहकार होने के साथ पर्सनल फाइनेंस और वित्तीय साक्षरता में लेखन और शिक्षण के क्षेत्र में कार्यरत हैं।अधिक से अधिक लोग ‘बेहतर और समझदार’ निवेशक बनें, यह इनका ध्येय है। 


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Karunesh Dev

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