किसी के भी लिए निवेश उतना ही ज़रूरी है जितना कि पैसा कमाना। यह उसके भविष्य को सुरक्षित करने का एक निश्चित तरीका है, खासकर जब वह रेगुलर इनकम कमाने की स्थिति में नहीं होगा। आज बाज़ार में एलआईसी, पीपीएफ, फिक्स्ड डिपॉजिट्स जैसे पुराने विकल्पों के अलावा कई प्रकार के निवेश विकल्प मौजूद हैं।
आज शेयर बाज़ार में निवेश ख़ासतौर पर युवा आबादी द्वारा काफी पसंद किया जा रहा है क्योंकि इसमें रिटर्न की संभावना अधिक है।
शेयर बाज़ार में निवेश के कई सुरक्षित विकल्प हैं जैसे म्यूचुअल फंड, इंडेक्स फंड, ईटीएफ आदि।ईटीएफ और म्यूचुअल फंड में वैसे कई समानताएं हैं लेकिन ये अलग – अलग निवेश उत्पाद हैं। इसी को थोड़ा विस्तार से समझते हैं –
ईटीएफ का मतलब है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। यह ऐसा निवेश है जहां निवेशक को एक ही फंड के तहत कई सिक्योरिटीज़ में निवेश करने का लाभ मिलता है। ईटीएफ कई सिक्योरिटीज़ का एक पूल है जिसका स्ट्रक्चर और कम्पोजीशन आमतौर पर उस इंडेक्स जैसा होता है जिसे यह ईटीएफ ट्रैक करता है। यह इस तरह के निवेश में जोख़िम को कम करता है क्योंकि ईटीएफ में अलग – अलग सिक्योरिटीज़ होती हैं और इसका मकसद भी इंडेक्स का प्रदर्शन दोहराना होता है।
म्यूचुअल फंड भी एक बहुत ही पॉपुलर निवेश उत्पाद है। यह भी सिक्योरिटीज़, डेट, बांड्स और इस तरह के अन्य एसेट्स का पूल है जिनमें एसेट मैनेजमेंट कम्पनी के माध्यम से निवेश किया जा सकता है। ये फंड्स निवेश के हिसाब से बेहतर हैं क्यूंकि इनमें डायरेक्ट स्टॉक इन्वेस्टिंग से जुड़े जोख़िम और खर्चे दोनों कम हैं।
ईटीएफ और म्यूचुअल फंड दोनों अलग अलग सिक्योरिटीज़ का पूल हैं। वैसे तो ये दोनों अलग – अलग प्रोडक्ट हैं, लेकिन इनमें कई समानताएं भी हैं। ऐसी कुछ समानताओं को समझते हैं –
ईटीएफ और म्यूचुअल फंड कई सिक्योरिटीज़ या एसेट्स से मिलकर बनते हैं जिनसे फंड की परफॉरमेंस भी निर्धारित होती है। ईटीएफ के तहत सिक्योरिटीज़ उस इंडेक्स के आधार पर बनाई जाती है जिसे वह ट्रैक करता है (आमतौर पर इंडेक्स में सिक्योरिटीज़ के जैसी रेश्यो में )। म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर बाज़ार की रिसर्च के बाद अधिकतम रिटर्न प्राप्त करने के टारगेट से सावधानीपूर्वक सिक्योरिटीज़ को चुनते हैं।
ईटीएफ और म्यूचुअल फंड दोनों प्रोफेशनल रूप से प्रबंधित एसेट्स हैं। ईटीएफ पैसिव एसेट है और इन्हें फंड मैनेजर की टीम की आवश्यकता नहीं होती है, म्यूचुअल फंड एक्टिव फंड होते हैं और निवेशकों के निवेश पर अधिकतम रिटर्न के लिए इन्हें फंड मैनेजर्स की एक टीम की आवश्यकता होती है।
ईटीएफ और म्यूचुअल फंड डाइवर्सिफाइड निवेश विकल्प है जिनमें कई एसेट्स होते हैं। यदि इनमें एक एसेट या सिक्योरिटी खराब प्रदर्शन करती है और दूसरी अच्छा करती है, तो यह पूरे फंड के जोख़िम को कम करेगा जिससे निवेशक के इन्वेस्टमेंट का रिस्क कम हो जायेगा।
जैसा कि हमनें ऊपर समझा है, ईटीएफ और म्यूचुअल फंड लगभग एक जैसे निवेश उत्पाद हैं, लेकिन उनके बीच कुछ ख़ास अंतर भी हैं। इन्हीं को समझते है –
ईटीएफ के प्रबंधन की लागत काफी कम है क्योंकि ये एक्टिव फंड नहीं हैं। इसलिए म्यूचुअल फंड की तुलना में ईटीएफ की लागत या खर्चे काफी कम है।
ईटीएफ में उसके इन्वेस्टमेंट केटेगरी के हिसाब से लंबी या छोटी अवधि का कैपिटल गेन (या लॉस) होता है। इसका हिसाब और टैक्स की दर ईटीएफ द्वारा ट्रैक किये गए एसेट्स पर आधारित होती है – यह इक्विटी या डेट फंड हो सकते हैं।
ईटीएफ पैसिव फंड्स हैं क्योंकि ये केवल अपने इंडेक्स को ट्रैक करते हैं और उसमें डीविएशन को जितना हो सके, कम करते हैं जिसे ‘ट्रैकिंग एरर’ कहा जाता है। म्यूचुअल फंड एक्टिव रूप से प्रबंधित फंड होते हैं जिन्हें फंड मैनेजर लगातार मॉनिटर और मैनेज करते हैं ताकि निवेशक के लिए अधिकतम रिटर्न कमाया जा सके।
ईटीएफ का बाज़ार में सीधा शेयर्स की तरह मार्किट टाइमिंग के दौरान कारोबार किया जा सकता है। इनमें इंट्राडे ट्रेडिंग का भी लाभ है, जबकि म्युचुअल फंड्स में ऐसा नहीं किया जा सकता। म्युचुअल फंड का कारोबार दिन के अंत में एएमसी द्वारा घोषित एनएवी या ‘क्लोजिंग प्राइस’ के आधार पर ही किया जा सकता है।
ईटीएफ में ‘लिमिट ऑर्डर’ की सुविधा होती है, जिसमें निवेशक बाज़ार में ऐसा प्राइस लेवल पहुंचने पर पहले से चुने हुए प्राइस पर ट्रेड पूरा कर सकता है।
म्युचुअल फंडस का बाज़ार के दौरान कारोबार नहीं होता और इसलिए इनमें ‘लिमिट ऑर्डर’ ट्रेडिंग का लाभ नहीं होता है।
ईटीएफ में उसी रेश्यो या वेटेज में एसेट्स या सिक्योरिटीज़ शामिल होती हैं, जैसे उसके इंडेक्स में, जिसे वह ट्रैक करता है। वहीं, म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए अधिकतम रिटर्न के लिए फंड मैनेजर्स द्वारा सोच विचार और एनालिसिस के आधार पर बनते हैं।
जब इन्वेस्टर डाइवर्सिफाइड निवेश करना चाहता है, तो ईटीएफ और म्यूचुअल फंड उसके लिए बेहतरीन विकल्प हैं। ये निवेश उसे शेयर बाज़ार से लाभ कमाने का मौका देने के साथ – साथ कम लागत पर अपने निवेश पर अधिकतम कमाई का भी अवसर देते हैं।
ईटीएफ और म्यूचुअल फंड अलग – अलग निवेश विकल्प हैं। निवेश के लिए किसी एक को छोड़कर दूसरा चुनना निवेशक की रिस्क लेने की क्षमता, निवेश कितने सालों के लिए है – ऐसी कुछ बातों पर भी निर्भर करता है। अगर निवेशक जोख़िम वाले अच्छे – रिटर्न की तलाश में है, तो म्यूचुअल फंड एक बेहतर ऑप्शन लगता है लेकिन जोख़िम से बचने वाले निवेशक ईटीएफ चुन सकते हैं।
हां – ईटीएफ ‘ट्रैकिंग एरर’ को कम करते हुए अपने इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करते हैं। लेकिन एक्टिव म्यूचुअल फंडस के मैनेजर बेहतर रिटर्न के लिए ज़्यादा जोख़िम उठा सकते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड की तुलना में ईटीएफ एक सुरक्षित निवेश विकल्प हो सकता है।
म्युचुअल फंड एक्टिव फंड होते हैं जिसमें एक्सपर्ट फंड मैनेजर्स की एक टीम की आवश्यकता होती है जो निवेशक के लिए अधिकतम रिटर्न कमाने के लिए फंड के एसेट्स का चयन करते हैं। इसलिए, ईटीएफ की तुलना में म्यूचुअल फंड में खर्च या ‘एक्सपेंस रेश्यो’ बढ़ जाता है।
हां – एक निवेशक किसी भी समय ईटीएफ से बाहर निकल सकता है। उसमें ‘एग्जिट लोड’ जैसी कोई रोक नहीं हैं जो आम तौर पर म्यूचुअल फंड में होता है। इसलिए, ईटीएफ को म्यूचुअल फंड की तुलना में अधिक लिक्विड माना जाता है।
हां – ईटीएफ का शेयर बाज़ार में किसी भी स्टॉक या शेयर की तरह कारोबार किया जा सकता है। यह ईटीएफ और म्यूचुअल फंड के बीच मूल अंतर है।
हां – ईटीएफ और म्युचुअल फंड निवेश के बेहतरीन विकल्प हैं और निवेशक के पोर्टफोलियो में अच्छी डाइवर्सिटी लाते हैं जिससे बढ़िया रिटर्न की संभावना बढ़ जाएगी।
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