भारतीय परिदृश्य में पारम्परिक रूप से सोने को गहनों, आभूषणों के साथ निवेश, बहुमूल्य सम्पति व कठिनाई के समय काम आने वाले उत्पाद के रूप में देखा जाता है।अपने वित्तीय मूल्य के अलावा इसमें लोगों के भावनात्मक और सामाजिक मूल्य भी जुड़े हुए हैं ।आज, अनेकों अन्य उत्पाद होने के बाद भी सोने का महत्व कम नहीं हुआ है और इसमें निवेश करने के बहुत से नए विकल्प जुड़ गए हैं।
सोना एक भौतिक परिसंपत्ति वर्ग है जिसे बहुत से लोग भविष्य के लिए खरीद कर रखना पसंद करते हैं।
सोने की कीमत और मूल्य-विकास का सकारात्मक इतिहास रहा है। आम लोगों से लेकर राजसी वर्ग ने समान रूप से इसके मूल्य को समझा और परखा है।
बढ़ती महंगाई के विरुद्ध सोने में निवेश सुदृढ़ बचाव-उत्पाद साबित हुआ है।
सोना खरीदना एवं बेचना सरल है और यह सबसे अधिक तरल संपत्ति वर्गों में से एक है जिसे आवश्यकता पड़ने पर आसानी से बेचा जा सकता है।
सोने में निवेश के लिए निवेशकों को विशिष्ट ज्ञान, अनुसंधान या अध्ययन की आवश्यकता नहीं है।
पोर्टफोलियो में विविधता लाने में सोना सहायक एवं पूरक निवेश विकल्प है।
सोने में निवेश करने से पहले निवेशकों को इसके विभिन्न प्रारूपों के बीच का अंतर समझना चाहिए जिससे उन्हें यह समझ आएगा कि 24 कैरेट सोने का भाव 22 और 18 कैरट सोने से अधिक क्यों है।
24 कैरेट सोना
24 कैरट सोने का भाव
सबसे अधिक होता है, क्योंकि ये सोने का शुद्धतम रूप है और इसमें कोई मिलावट नहीं होती
22 कैरेट सोना
इसमें 22 भाग सोने के और 2 भाग अन्य धातुओं के होते हैं. अन्य धातुओं के मिश्रण से ये आभूषण बनाने के काम आता है I इसमें लगभग 91.67 प्रतिशत सोना होता है, इसलिए इसे ‘916’ सोना भी कहा जाता है
18 कैरेट सोना
इसमें 75 प्रतिशत भाग सोना और 25 प्रतिशत अन्य धातुओं का मिश्रण होता है I
यह 24 और 22 कैरेट सोने से कम महंगा होता है और इसकी कठोरता और स्थायित्व के कारण इसका उपयोग हीरे जड़ित आभूषण बनाने के लिए किया जाता है
पिछले कुछ वर्षों से सोने में निवेश करना सरल बन गया है।यह केवल आभूषणों की खरीद तक ही सीमित नहीं है। इसमें निवेश के पांच प्रमुख तरीके हैं –
गोल्ड ईटीएफ, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) हैं जो घरेलू 24 कैरट सोने के भाव को ट्रैक करते हैं। यह पैसिव निवेश साधन हैं जो सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं और सोने के भण्डार में निवेश करते हैं। एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट उच्च शुद्धता वाले सोने द्वारा समर्थित 1 ग्राम सोने के बराबर होता है।
गोल्ड ईटीएफ की विशेषताएं –
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गोल्ड ईटीएफ को मुद्रास्फीति से अधिक रिटर्न के लिए अच्छा निवेश माना जाता है I
यह निवेशकों को पोर्टफोलियो विविधीकरण प्रदान करता है
वैश्विक अनिश्चितताओं के समय इसे अच्छा निवेश माना जाता है
गोल्ड ईटीएफ पूंजीगत लाभ कर (LTCG tax) के अधीन हैं, इसलिए ये टैक्स के पश्चात् बेहतर रिटर्न प्रदान करते हैं
गोल्ड ईटीएफ आसान निवेश है व चोरी, भंडारण की चिंता आदि से सुरक्षित है
इनमें स्टॉक एक्सचेंजों पर आसानी से कारोबार किया जा सकता है और कीमत के मामले में पूरी पारदर्शिता होती है
भौतिक सोने की तुलना में गोल्ड ईटीएफ खरीदना सरल है
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड योजनाओं को गोल्ड म्यूचुअल फंड के रूप में जाना जाता है। ये सीधा भौतिक निवेश न करके ईटीएफ के माध्यम से निवेश करते हैं और ‘फंड ऑफ़ फंड्स’ श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। ये फंड उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं जिनके पास डीमैट खाता नहीं है और जो पेशेवर रूप से प्रबंधित सोने के दाम में बढ़ोतरी का लाभ उठाना चाहते हैं।
ईटीएफ या भौतिक सोने के विपरीत, इनमें छोटी मात्रा से निवेश किया जा सकता है
अन्य म्यूचुअल फंड्स की तरह, लागू एनएवी पर इन्हें आसानी से बेचा जा सकता है
गोल्ड फंड नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI ) द्वारा नियंत्रित होते हैं
इलेक्ट्रॉनिक रूप में सोना रखना सबसे सुरक्षित और सुविधाजनक तरीकों में से एक है
भौतिक सोने की मांग कम करने के लिए 2015 में सरकार द्वारा ‘सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड’ या ‘सोने के संप्रभु बांड’ योजना आरम्भ की गई थी। आरबीआई इन्हें भारत सरकार की ओर से जारी करता है।
इन बांड्स पर 2.50% की सुनिश्चित ब्याज दर है, जो अर्ध-वार्षिक रूप से दी जाती है। सोने में किसी भी अन्य प्रकार के निवेश से इस प्रकार की आय-अर्जन का विकल्प नहीं है।
गोल्ड बांड्स का परिपक्वता मूल्य उस समय 999 शुद्धता वाले सोने के पिछले तीन दिनों के औसत बंद होने वाले भाव पर आधारित होता है। (यह भाव भारतीय बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया जाता है)
बांड-धारक इन बांड्स पर ऋण ले सकते हैं।ऋण की राशि आरबीआई द्वारा सुझाई गई मूल्य निर्धारण प्रक्रिया पर निर्भर है।
बांड्स से मिलने वाला ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर-योग्य है।किन्तु परिपक्वता के समय होने वाले पूंजीगत लाभ (LTCG) में निवेशक को पूर्णतया छूट है, जो इसे लम्बी अवधि के हिसाब से आकर्षक विकल्प बनाता है।
सोने में ऑनलाइन निवेश के सुविधाजनक और लागत प्रभावी साधनों में से एक है – डिजिटल सोना। डिजिटल सोना बिना तिजोरी या लॉकर के वस्तुतः सोना (virtual gold) रखने का एक तरीका है।
निवेशकों द्वारा खरीदा गया डिजिटल सोना भौतिक 24-कैरट सोने द्वारा समर्थित होता है और 24 कैरेट सोने के भाव से जुड़ा होता है।
निवेशक बहुत छोटी राशि से निवेश कर सकते हैं
डिजिटल सोना बेचने वाली अधिकांश कंपनियां सुनिश्चित करती हैं कि यह सुरक्षित वाल्टों में संग्रहित है और इसका बीमा किया गया है
निवेशक इसे कभी भी बेच सकते हैं और अपनी धन राशि प्राप्त कर सकते हैं
गहनों या अन्य सोने के विकल्पों के विपरीत डिजिटल गोल्ड में शून्य निर्माण शुल्क होता है
-किसी भी संस्था द्वारा विनियमित नहीं
-अधिकांश प्लेटफार्म पर 2 लाख रु की निवेश-सीमा है
जो निवेशक केवल भौतिक स्वरुप में ही सोना खरीदना पसंद करते हैं और लंबे समय तक इसे रखना चाहते हैं, वे सोने के सिक्के या बार खरीदकर ऐसा कर सकते हैं। निवेशकों को इन्हें विश्वसनीय और सत्यापित स्रोतों से ही खरीदना चाहिए। सोने के सिक्के और बार 24 कैरेट शुद्धता के साथ आते हैं और और इनका मूल्य 24 कैरट सोने के भाव से जुड़ा रहता है । ये मानक वर्ग (standarad units) जैसे 1 ग्राम, 5 ग्राम , 10 ग्राम (या उससे अधिक) वर्गों में आते हैं। निवेशकों को बीआईएस मानकों (BIS standards) के अनुपालन के साथ इनकी शुद्धता (हॉलमार्क के साथ) सुनिश्चित करनी चाहिए।
सोने से सम्बंधित ये दो और विकल्प भारत में निवेश, खरीद व संचय का एक लोकप्रिय साधन हैं –
जौहरी और बड़े ज्वैलर्स किश्तों में सोने में निवेश की योजनाएँ लाते हैंI इसमें एक विशिष्ट अवधि के लिए हर महीने पूर्व-निर्धारित राशि जमा की जाती है Iइस अवधि के अंत में जमा राशि के बराबर सोना (उस समय के मूल्य पर) खरीदा जा सकता है I कई योजनाओं में बोनस अथवा एक किश्त की छूट भी दी जाती है (योजना की शर्तों के आधार पर)
सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जैसे – मांग और आपूर्ति, देश की आर्थिक स्थिति, वैश्विक बाजार में सोने की मांग आदि। भारत में सोना शुभ माना जाता है और इसे अलग-अलग अवसरों पर खरीदा जाता है जैसे दीपावली, अक्षय तृतीया, विवाह-शादी के समय।आम धारणा यह है कि सोने की कीमतें शेयर बाज़ार की तुलना में अलग दिशा में चलती हैं, इसलिए यह निवेश का अच्छा साधन है – लेकिन यह पोर्टफोलियो का एक बड़ा हिस्सा नहीं होना चाहिए।
अन्य निवेश माध्यमों की भांति सोने में निवेश से पहले उद्देश्य, अवधि, जोख़िम क्षमता और भविष्य की रणनीति का आकलन आवश्यक है।
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